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देख लिए बहुत......

......देख लिए बहुत......

निभा लिए झूठ का साथ बहुत
आओ अब कुछ सच के साथ भी हो लें
देख लिए उजाले की चमक भी बहुत
परखने के तौर पर शाम के साथ भी हो लें

जमा लिए बाहर भीतर साधन कई
खो दिए हांथ पैर ,बीमारी पाल लिए
आओ देखते हैं त्यागकर आराम तलबी
लगा इत्र नकली,गंध पसीने की को दिए

निज भाषा, निज ज्ञान से नफरत किए
गैर की संस्कृति ले नग्न भी होते गए
बेशर्मी से उतर गए कपड़े भरी महफिल मे
अब ,लोक लाज की परंपरा मे भी जी लें

परिवार ही नही टूटे हैं केवल हमारे
रिश्तों से भी बच्चे अछूते ही रह गए
अपनों की चलती सांसों की भी खबर नही
अपने ही घर मे भी हम गैर बनकर रह गए

आकाश मे ऊंचाइयों को रोका है किसने
धरती के दामन मे भी आई जीना सीख लें
रह लिए बहुत ऊंची उड़ानों के साथ भी
आओ ,अपनों के साथ भी रहकर अब देख लें
..........................
मोहन तिवारी,मुंबई

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6 Comments

KALPANA SINHA

29-Sep-2023 01:51 PM

Awesome

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Alka jain

28-Sep-2023 05:36 PM

V nice

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बेहतरीन अभिव्यक्ति और खूबसूरत भाव

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